बरबस लिखा हुआ..

1..हथेली की सारी रेखाएं अनशन पर हैं..
मुट्ठी में बंद होकर पसीजती सी..
अचानक भाग्य रेखा का
यूँ लापता होना
असहनीय हुआ जाता है..!!



 
2.हतप्रभ सा रुका हुआ..
निस्पंद करता मौन..
आकाश भर चीखने की लालसा..
शून्य संवेदना..
अंतहीन वेदना..
कुल जमा..आज का दिन..!!
 
3.कोरे कागज़ पर सलवटें देखीं तो चौंक गयी..
बिना कुछ लिखे क्या यूँ दरार पड़ती है..!!
 
रखा नहीं जाता एक लम्हा..
घर के किसी कोने में..
जिस तरह रखी जा सकती है
उतार कर कलाई से घड़ी..
हमेशा चस्पां यूँ एक लम्हा
मृत्यु से पहले
जुबां पर बसे साइनाइड के स्वाद सा..!!
 
5.बिना किसी शिकायत..
रात चुपचाप सौंप दी है
तुम्हारी स्मृतियों के हाथों..
आज देखना..
इन्द्रधनुष रखूंगी सिरहाने अपने..!!
 

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