स्तब्ध नदी..!!

नदी आज बहुत चुप..
सुबह से..
जैसे लहरों को बाँध लिया हो किसी ने..
कोई हलचल नहीं..
स्तब्ध नदी..
बताओगी..?
किस के पाँव पखार लिए थे आज..!!

1 comment:

  1. मनीषा जी आपकी सभी कवितायें बहुत अच्छी हैं. ताजा हवा के झोंके की तरह मन को छूती हैं. लिखती रहिये. क्योंकि आप जैसो का लिखना बहुत जरूरी है.

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