भेजे हैं कुछ अक्षर तुम्हें..

भेजे हैं कुछ अक्षर तुम्हें..
जिन्हें अमरत्व का वरदान है..
आश्वस्त  हूँ..तुम तक पहुँचते
ये अपना रंग..अपनी सुगंध..
अपने अर्थ सम्हाल ही लेंगे..
नीले आकाश में शायद   
मिलें  उन नक्षत्रों से भी..
जिनके संयोगों ने रचा था
एक मौन...निष्पाप रिश्ता..
जो रहा अपराजेय..अधीर और अधूरा..
जब तुम आकाश देखो..
बहुत चमकीले  ये शाश्वत शब्द..
पहचान लोगे न..

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