पारिजात
फिर से लिखो मुझे..!!
एक बार फिर से लिखो मुझे..
बहुत संभव है..
तरल शब्दों में,
अबके नहीं बहेगा अस्तित्व..
और शायद..बच रहेगा..
मेरे हिस्से का गंगाजल..!!
2 comments:
Nidhi
May 27, 2011 at 11:57 PM
कितना सुन्दर ख्याल है..............मन को छु गया !
Reply
Delete
Replies
Reply
संगीता स्वरुप ( गीत )
May 28, 2011 at 12:53 AM
वाह ...सुन्दर भाव
Reply
Delete
Replies
Reply
Add comment
Load more...
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
कितना सुन्दर ख्याल है..............मन को छु गया !
ReplyDeleteवाह ...सुन्दर भाव
ReplyDelete