बस अभी लिखा ही था..
..''तुम''..
गुलाबी परदे से छन् से आकर
ठीक सामने बैठ गई धूप..
झरने लगे आतिशी गुलमोहर..
और..की बोर्ड से टकरा कर
कांच की चूड़ियाँ जिरह करने लगीं..
इससे पहले के और कुछ लिखूं ..
मौन व्याप गया..!!

3 comments:

  1. ्बहुत सुन्दर ख्याल्।

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  2. किसी के ख्यालों से मौसम भी जुड़े होता हैं.शायद ,सोचो तो बसंत आ जाता है.सुन्दर रचना............साधुवाद

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