पारिजात
सूनी सड़क पर
दिन चलता रहा सिर झुकाए..
और..गुलमोहर सुलगता रहा
पिघलते कोलतार पर..
हथेली में रखे अंगार सा..!!
2 comments:
vandana gupta
May 10, 2011 at 3:35 AM
उफ़्…………।गज़ब्।
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Nidhi
May 11, 2011 at 12:09 PM
लाल गुलमोहर ......अंगार सा.....वाह!!!!!!!!सुन्दर कल्पना
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उफ़्…………।गज़ब्।
ReplyDeleteलाल गुलमोहर ......अंगार सा.....वाह!!!!!!!!सुन्दर कल्पना
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