एक बार क्यूँ न वक़्त को मुल्तवी किया जाए..!!
फिर घूँट भर चांदनी गटकी जाए..
उँगलियों से आकाश पर चाँद उकेरा जाए..
चुपचाप एक रेस्तरां में बेवजह बैठे हुए
कोंफी से निकलती भाप को
हथेलियों में रोक..
उसे पसीने में तब्दील होते देखा जाए...
और आँखों में आती बूंदों को भीतर उंडेल लिया जाए..
चलो आज वक़्त को मुल्तवी किया जाए...
फिर घूँट भर चांदनी गटकी जाए..
उँगलियों से आकाश पर चाँद उकेरा जाए..
चुपचाप एक रेस्तरां में बेवजह बैठे हुए
कोंफी से निकलती भाप को
हथेलियों में रोक..
उसे पसीने में तब्दील होते देखा जाए...
और आँखों में आती बूंदों को भीतर उंडेल लिया जाए..
चलो आज वक़्त को मुल्तवी किया जाए...
बहुत अनूठी सोच...वक्त को मुल्तवी करना ...अच्छा है....काश ऐसा हो पाता...तो कितना अच्छा होता
ReplyDeleteघूँट भर चांदनी गटकी जाए..waah
ReplyDeleteचलो आज वक़्त को मुल्तवी किया जाए.......wah.kya baat hai.bura na lage to do linon ke beech thodi jagah chor diya karen....anytha mat lijiyega.
ReplyDeletesundar likha hai !
ReplyDeleteek saath aapki teen chaar kavitaaen parh gayee.
waapas lautungi.
बहुत सुन्दर रचना , खूबसूरत प्रस्तुति .
ReplyDeleteस्वतन्त्रता दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ
कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारने का कष्ट करें
आदरणीया मनीषा जी
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
बहुत प्रभावशाली लिखती हैं आप …
घूंघट भर चांदनी गटकी जाए..
उंगलियों से आकाश पर चांद उकेरा जाए..
कॉफी से निकलती भाप को
हथेलियों में रोक.. पसीने में तब्दील होते देखा जाए...
आंखों में आती बूंदों को भीतर उंडेल लिया जाए..
चलो आज वक़्त को मुल्तवी किया जाए...
सच , बहुत पसंद आई आपकी यह कविता …
आभार ! बधाई !!
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई-शुभकामनाएं!
- राजेन्द्र स्वर्णकार
क्या बात है. क्या फरमाइश है. लगता है चाहत की आजमाइश है. काश! ऐसा हो पाता.
ReplyDeleteयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
और आँखों में आती बूंदों को भीतर उंडेल लिया जाए..
ReplyDeleteचलो आज वक़्त को मुल्तवी किया जाए..
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति
lag raha hai ki aakhirkaar "Konfi" Coffee ban hi gayee.. इसे चिराग क्यों कहते हो?
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर , बेहतरीन।
ReplyDeleteसुंदर उदगार हैं..भावनाओं के साथ बह रही कविता
ReplyDeleteवाह - वाह - अति सुंदर
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