तुम क्या लिखते हो..

मैं जानना चाहती हूँ..
तुम क्या लिखते हो..
क्या आँखों में सूना सूना
इंतज़ार लिखते हो..
या पपड़ाये होठों का 
अनकहा प्यार लिखते हो..
किसी मासूम के रुआंसे चेहरे का
हाहाकार लिखते हो..
या इस व्यापारी दुनिया का
व्यापार लिखते हो..
मेरे हिस्से आये कागज़ और कलम..
जब देखती हूँ सिहरते रहते हो..
जैसे किसी बुझती लौ की
आखिरी लपक लिख रहे हो..!!



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